" तुमने इस शादी के लिए हाँ क्यों की? हँ? तुम तो इन सब मे नही पड़ना चाहती थी ना? बोलती थी कि मुझे किसी की रोटियां नही पकानी ... यही बोलती थी ना तुम परिधि? " उसकी बड़ी बहन अनामिका ने अपनी बहन से कहा जो इस वक्त शादी के जोड़े मे बैठी हुई थी।
शादी थी उसकी उसे खुश होना चाहिए था लेकिन कहीं से भी वह खुश नजर नहीं आ रही थी उसकी आंखें जैसे शून्य में ताक रही थी। दुल्हन के लाल लिबास मे वो बहुत सुंदर लग रही थी उसकी बड़ी सी आँखे जिनमे कजाल लगा हुआ था उसके गुलाबी होठ उसका बेदाग चहरा ... बला की खूबसूरत लग रही थी वह लेकिन अभी उसमें किसी चीज की कमी थी और वह कमी थी उसकी मुस्कुराहट की।
उसके चेहरे पर मुस्कुराहट नजर नहीं आ रही थी
"कुछ बोल ना परी अब ऐसे ही बैठे रहेगी क्या मुझे पता है तो यह शादी नहीं करना चाहती.।बाबा ठाकुर ने दबाव बनाया है ना तेरे ऊपर! है ना !! " अपनी बड़ी बहन की बात सुन परिधि ने एक नजर उसकी तरफ देखा और उसकी बाई आंख से एक आंसू उसके चेहरे पर लुढ़क पड़ा
" आपको अब नजर आ रहा है अब जब मैं दुल्हन बनकर बैठे हैं तब आपको दिखाई दे रहा है कि दीदी अब आप क्या चाहते हैं मैं यहां से भाग जाऊं मेरे सारे सपने तो जलकर राख कर दिए ना मैं किसी एक बड़ी कंपनी में जब लेना चाहती थी लेकिन देखिए कितना रोक पाई मैं अपने किस्मत को परिधि ने चिल्ला कर कहा।
उसके होठ कांप रहे थे और दोनों आंखें एकदम लाल हो चुकी थी ।
"तो अभी क्या तुम्हारी माँ ग मे सिंदूर भर दिया है उस आदमी ने, "
"तो आप कह रही है मै अपनी शादी से ही भाग जाऊँ ...बाबा की कितनी बेज्जती होगी " बोलते हुए परिधि की आवाज़ तेज हो गयी थी।
" जब उन्हे अपनी इज्जत का कोई खयाल नहीं तो हम क्यों उनका खयाल करे... " उसकी बड़ी बहन ने भी उसी tone मे जवाब दिया।
"आप इस वक्त क्यों मज़ाक कर रही है "
" तुम्हे मेरे चेहरे से क्या लग रहा है की मै मज़ाक कर रही हूँ इस वक्त "
हाँ !! अनामिका का चहरा इस वक्त बेहद गम्भीर था लग नही रहा था कि वो मज़ाक कर रही है।
" इस वक्त क्यों दीदी...अभी मै ये भारी लहंगा पहन के कहाँ भागती फिरु, फिल्मों मे देखा था लड़कियों को भागते हुए कभी सोचा भी नही था कि ये सब करने का ख्याल मेरे दिमाग मे आएगा " बोलते हुए वो बेड के आस पास बस चक्कर ही लगा रही थी ।
" तो तू क्या चाहती है उस 45 साल के आदमी से तेरी शादी हो जाए , "
" 45 का नही है वो "
" हाँ, 40 का है और अब तू बात मत बदल , "
" अब कुछ नही हो सकता दी... बारात आने को 10 मिनट भी नही है और अब ये ज्ञान दे रही है आप, आपने पहले तो कभी कुछ नही कहा अभी क्यों प्रॉब्लम हो रही है आपको... जैसे आप पहले देख रही थी मेरी ज़िन्दगी बर्बाद होते हुए वैसे ही अब भी देख लीजिए... आपके लिए कौन सा बड़ी बात है "
" मैंने तेरा कब बुरा चाहा परी, और तेरी शादी का फैसला बाबा ठाकुर का था, और उनके आगे किसकी जुबान खुलती है "
" फिर आप अब क्यों अपनी जुबान खोल रही है अब भी मुह सिल लीजिए ना.... " वो आगे भी कुछ कहती लेकिन उसकी बड़ी बहन ने उसे खिंच कर थपड मारा था ।
कुछ देर तक दोनों मे खामोशी छायी रही । दोनों की आंखों में आंसू है कुछ देर तक उन दोनों में से कोई भी नहीं बोला
"हाँ हमारी वजह से ही हो रहा है ये... जब बात अपने पर बनती है ना तभी इंसान मुंह खोलता है " उसकी बहन ने रोते हुए कहा तो परिधि भी थोड़ी डर गयी।
"क्या बात है दीदी सब ठीक तो है ना , हाँ मै शादी नही करना चाहती पर आप अब रो क्यों रही है , कुछ हुआ है क्या " वो भी डर गयी थी अपनी बहन को रोता हुआ देख कर।
"तू बस यहाँ से चली जा परिधि अगर तू उस घर में शादी करके आयी कभी खुश नही रह पाएगी!! कभी नही!! " अनामिका ने जल्दी से अपनी आँखे साफ की कि किसी ने दरवाजा खडका दिया ।
"कोई आ रहा है परि... तू खिड़की से जा और इस बैग मे मैंने तेरे कपड़े रख दिये है बदल लेना... और अपना फोन स्विच ऑफ कर... "
"क्या बोल रही है आप, आपको पता है ना मेरी लाश को भी इस गाँव मे आने नही दिया जाएगा अगर मैंने ऐसा किया तो... जिंदा "
" गाड़ देंगे " उन दोनों ने एक साथ कहा।
परिधि अपनी बहन को है रानी से देख रही थी उसको संस्कारी बहन ये सच मे करने का सोच रही थी क्या... ऐसा इस पूरे खानदान मे कभी नही हुआ था कि लड़की अपने घर से bhaagi हो!! नही अपनी शादी से !! खान दान मे क्या ऐसा पूरे गाँव मे कभी नही हुआ था बस उसने हल्की सी खबर सुनी थी कि उनके गाँव कि एक लड़की भाग गयी थी उसे जिंदा जला दिया था, पता नही वो खबर सच थी या झूठ।
तो क्या ये एक्सपेरिमेंट उस पर किया जा रहा था अब? और वो जाएगी कहाँ??
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