• The lustful pen
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44

Chapter 44 ( pu##y पर बारिश की बुंदे लग रही है " )

  • 26 Oct, 2025 · Mature

हॉस्पिटल के बाहर ठंडी हवा बह रही थी, लेकिन माहौल में तनाव की गर्मी साफ़ महसूस हो रही थी।

यूनिफॉर्म पहने पुलिसकर्मी गलियारे में इधर-उधर जा रहे थे, जबकि बाहर एम्बुलेंस की लाल-नीली लाइट बार-बार टिमटिमा रही थी।

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  • Only love can hurt like thisOnly love can hurt like this

    Only love can hurt like this

    🔞This book contain mature scene and language , I am already given a triggered warning here , so better start reading before making your mind . वो एक हादसे से टूटी थी… ग़म और पछतावे की गिरफ्त में, हर सांस बोझ लगती थी। लेकिन किस्मत ने उसे एक ऐसी राह पर ला खड़ा किया… जहाँ दर्द और मोहब्बत एक-दूसरे से टकराते हैं। एक ऐसा रिश्ता… जो दिल से गहरा है, पर दुनिया की नज़रों में नामुमकिन। वो लड़ रही है— खुद से भी, यादों से भी, और उस सच्चाई से भी जिसे छुपाना अब उसके बस में नहीं। क्या मोहब्बत उसकी ताक़त बनेगी… या वही उसका सबसे बड़ा गुनाह??????

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    ₹ 60
  • Curse of triple loveCurse of triple love

    Curse of triple love

    🔞 bold story है खुद के risk पर पढ़े, और बच्चे दूर रहे रात के सन्नाटे में जब सब कुछ थमा हुआ था, उसके कमरे का दरवाज़ा धीरे से खुला। तीन परछाइयाँ अंदर दाख़िल हुईं मजबूत क़दमों की आहट, दबे स्वर, और अंधेरे में छुपे चेहरे।वो उन्हें देख नहीं पाई, पर उनकी मौजूदगी को महसूस करती रही... इतनी गहराई से कि वो पल उसके लिए डर और चाहत, एक अलग ही connection बन गया था उनसे । सुबह की रोशनी में सब कुछ सामान्य लगने लगा, पर उसके दिल में सवाल गूँजता रहा क्या वो फिर लौटेंगे? कौन थे वो? और क्यों हर रात उसे उनके आने का इंतज़ार रहने लगा? जवाब तलाशते हुए वो धीरे-धीरे अपने ही घर और रिश्तों के बारे में ऐसे सच से टकराती रही। जिसकी कल्पना करना भी उसके लिए नामुमकिन था।

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    ₹ 110
  • Naked lust " Bound by four "Naked lust " Bound by four "

    Naked lust " Bound by four "

    समंदर ने उसकी किस्मत निगल ली थी… और जब उसने आँखें खोलीं तो खुद को एक ऐसे टापू पर पाया, जिसका नाम किसी नक़्शे पर नहीं था। न कोई रास्ता, न कोई उम्मीद—सिर्फ़ चार अजनबी, जिनकी निगाहों में भूख थी… भूख सिर्फ़ जीने की नहीं, उससे कहीं गहरी और खतरनाक। जो शुरुआत में ज़िंदगी बचाने की जद्दोजहद थी, वही धीरे-धीरे एक खतरनाक खेल में बदलने लगी— इच्छाओं, जलन और पाबंदी तोड़ने वाली चाहतों का खेल। हर रात लहरें अपने राज़ फुसफुसाती थीं। हर दिन टापू अपनी क़ीमत वसूलता था। और इस क़ैद बने स्वर्ग में उसे महसूस हुआ कि कुछ भूख कभी मिटती नहीं… और कुछ इच्छाएँ, एक बार जाग जाएँ तो सब कुछ निगल लेती हैं।

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