
तीन दिन हो गये थे वही सब चल रहा था , लेकिन चाहे जैसा भी दिन हो आरजू ने सुबह उस जगह जाना नही छोडा था ।
कुछ देर की बिना बात की ही मुलकात उसे पूरे दिन की ताकत देती थी कि वो हर किसी के सामने खुश रहती थी ।


तीन दिन हो गये थे वही सब चल रहा था , लेकिन चाहे जैसा भी दिन हो आरजू ने सुबह उस जगह जाना नही छोडा था ।
कुछ देर की बिना बात की ही मुलकात उसे पूरे दिन की ताकत देती थी कि वो हर किसी के सामने खुश रहती थी ।

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