
"अरे कोई बाहर खड़ा है जीवा दरवाजा खोल दे, कब से बेल बज रही है... चैन नही लेने देते एक मिनट का भी, अब शाम का खाना बनाना है, एक तो ये दो जवान लड़कियां इतनी बड़ी हो गयी है, ये नही माँ का हाथ ही बटा दे, कोई काम करने राजी नही है इस घर में.... " सुनंदा बोलती जा रही थी जब बेल दोबारा बजी तो उसने चिल्ला कर कहा " ई जीवा खोल दे... "
जीवा जो अपने कमरे मे काम कर रही थी वो जल्दी से आयी वो भी बुदबुदा रही थी " खुद भी तो खोल सकती थी ये, यही खड़ी है किचन में मुझे ऊपर से आना पड़ा " उसने जल्दी से दरवाजा खोला तो देखा सामने धारा खड़ी हुई थी।




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