
उसके जन्मदिन को चार दिन बीत चुके थे । लेकिन जो उस दिन हुआ था वो अब भी उसकी समझ से बाहर था समाज की नज़र में तो वो गुनाह ही था।
वो इन चार दिन अपने डैडी और अंकल दूर रही थी या फिर ऐसा कहे कि जानबुझ कर उनसे दूर भाग रही थी।


उसके जन्मदिन को चार दिन बीत चुके थे । लेकिन जो उस दिन हुआ था वो अब भी उसकी समझ से बाहर था समाज की नज़र में तो वो गुनाह ही था।
वो इन चार दिन अपने डैडी और अंकल दूर रही थी या फिर ऐसा कहे कि जानबुझ कर उनसे दूर भाग रही थी।

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