सुबह के 5 बज रहे थे।
हरिदास अभी नींद से उठा था। वह उठकर जैसे ही बाहर आया, तो उसकी नज़र अपने बड़े भाई पर पड़ी, जो मिट्टी रौंद रहा था।
हरिदास ने आस-पास देखा और फिर जाकर अपने भाई के पास बैठ गया।
सुबह के 5 बज रहे थे।
हरिदास अभी नींद से उठा था। वह उठकर जैसे ही बाहर आया, तो उसकी नज़र अपने बड़े भाई पर पड़ी, जो मिट्टी रौंद रहा था।
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